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हर्पीस (शिंगल्स), जिसे हर्पीस ज़ोस्टर भी कहा जाता है, वैरिसेला ज़ोस्टर वायरस के फिर से सक्रिय (एक्टिव) होने के कारण होता है। छोटी माता (चिकनपॉक्स) होने या वैरिसेला जोस्टर वायरस के संपर्क में आने के बाद, वायरस जीवन भर शरीर में निष्क्रिय रूप से रहता है। उम्र बढ़ने के साथ, प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) स्वाभाविक रूप से कमजोर हो जाती है, जिसके कारण आमतौर पर निष्क्रिय वायरस फिर से सक्रिय हो सकता है, जिससे हर्पीस (शिंगल्स) हो सकता है।
इसलिए, बुजुर्गो में हर्पीस (शिंगल्स) होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके कारण आमतौर पर एक दर्दनाक, फफोलेदार दाना बनता है जो शरीर या चेहरे के एक तरफ दिखाई देता है।
वैरिसेला ज़ोस्टर वायरस के कारण छोटी माता (चिकनपॉक्स) और हर्पीस (शिंगल्स) (जिसे हर्पीस ज़ोस्टर भी कहा जाता है) होता है। एक व्यक्ति को छोटी माता (चिकनपॉक्स) होने के बाद, वायरस उसके शरीर में ही रह जाता है और निष्क्रिय हो जाता है। वायरस वर्षों बाद फिर से सक्रिय हो सकता है और उसके कारण हर्पीस (शिंगल्स) हो सकता है। हालाँकि, कई कारक हो सकते हैं। उम्र बढ़ने के साथ व्यक्ति का प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) कमजोर हो जाती है। प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) जितनी अधिक कमजोर होती है, वायरस को फिर से सक्रिय होने से रोकने की संभावना उतनी ही कम होती जाती है। इसलिए, बुजुर्गों को हर्पीस (शिंगल्स) होने का खतरा अधिक होता है।
सबसे पहले, जिस किसी को छोटी माता (चिकनपॉक्स) हुआ है, उसके पास पहले से ही वायरस है जो शिंगल्स का कारण बन सकता है। कुछ लोगों को छोटी माता (चिकनपॉक्स) हुआ है और उन्हें यह याद नहीं है या उन्हें इसका एहसास नहीं हो सकता है। किसी भी तरह से, वे शिंगल्स विकसित कर सकते हैं यदि वायरस फिर से सक्रिय हो जाता है, भले ही वे कितना स्वस्थ महसूस कर सकते हैं।
कमजोर इम्यूनिटी (प्रतिरक्षा) वाले लोगों को हर्पीस (शिंगल्स) होने का खतरा अधिक होता है। और चूंकि उम्र बढ़ने के साथ स्वाभाविक रूप से इम्यूनिटी सिस्टम (प्रतिरक्षा प्रणाली) कमजोर होती जाती है, इसलिए लोगों को 50 साल की उम्र के बाद इसका खतरा अधिक होता है।
बुजुर्गों में पोस्ट-हर्पेटिक न्यूरेल्जिया (PHN) जैसी जटिलताओं के होने का खतरा बढ़ जाता है।
जिस वायरस के कारण हर्पीस (शिंगल्स) होता है वह उस समय से ही शरीर में मौजूद होता है जब आप छोटी माता (चिकनपॉक्स) से संक्रमित होते हैं। यह फिर से सक्रिय होने तक निष्क्रिय रहता है। इसलिए, आप इसे दूसरे को नहीं दे सकते हैं।
हालाँकि, यह दूसरे को संक्रमित कर सकता है यदि उन्हें छोटी माता (चिकनपॉक्स) नहीं हुआ है या वे इससे सुरक्षित नहीं हैं। अगर कोई व्यक्ति हर्पीस (शिंगल्स) वाले किसी व्यक्ति के फफोले के सीधे संपर्क में आता है तो वायरस का संक्रमण हो सकता है और उससे उसे छोटी माता (चिकनपॉक्स) भी हो सकता है।
आमतौर पर हर्पीस (शिंगल्स) के कारण दर्दनाक दाने निकलते हैं जो अक्सर 10 से 15 दिनों में फफोले और पपड़ी बन जाते हैं और 2 से 4 सप्ताह के भीतर साफ हो जाते हैं। दाने आमतौर पर शरीर या चेहरे के एक तरफ दिखाई देते हैं। लोगों को दाने निकलने से 48-72 घंटे पहले दाने वाले हिस्से में दर्द, खुजली, झुनझुनी या सुन्नता का अनुभव हो सकता है।
एक संभावना है कि तनाव के कारण आपको हर्पीस (शिंगल्स) होने का खतरा बढ़ जाए। ऐसा माना गया है कि हर्पीस (शिंगल्स) के विकास के लिए उम्र सबसे महत्वपूर्ण कारक है। ज्यादातर हर्पीस (शिंगल्स) के मामले 50 साल और उससे अधिक उम्र के वयस्कों में होते हैं।
अधिक जानने के लिए कृपया अपने डॉक्टर से बात करें।
छोटी माता (चिकनपॉक्स) एक बेहद संक्रामक बीमारी है। इसके कारण पूरे शरीर में फफोले जैसे दाने हो सकते हैं, खुजली और बुखार हो सकता है। छोटी माता (चिकनपॉक्स) वायरस फिर से सक्रिय हो सकता है, जिसके कारण हर्पीस (शिंगल्स) हो सकता है। जिन लोगों को हर्पीस (शिंगल्स) हुआ है वे शरीर के एक हिस्से में दर्द, खुजली, झुनझुनी और फफोले का अनुभव कर सकते हैं जो हफ्तों तक रह सकते हैं।
अगर उन्हें कभी छोटी माता (चिकनपॉक्स) नहीं हुआ है तो उन्हें हर्पीस (शिंगल्स नहीं हो सकता है। इस बात की संभावना है कि वे अनजाने में वायरस के संपर्क में आ गए हों, या उन्हें याद न हो। ऐसे में बुजुर्गों को हर्पीस (शिंगल्स) होने का खतरा हो सकता है।
हर्पीस ज़ोस्टर ऑप्थेल्मिकस एक हर्पीस (शिंगल्स) वाला संक्रमण होता है जो आंख और आंख के आसपास के क्षेत्रों को प्रभावित करता है। इसके लक्षणों में माथे पर दाने और पूरे नसों में दर्दनाक सूजन शामिल हैं।
हालांकि अधिकांश लोग हर्पीस (शिंगल्स) के संक्रमण से पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं, लेकिन कुछ लोगों को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।
पीएचएन एक स्वास्थ्य जटिलता है जो हर्पीस (शिंगल्स) वाले 25% लोगों को प्रभावित करती है। पीएचएन के मुख्य लक्षणों में से एक है नस में दर्द है जो दाद के दाने के ठीक होने के बाद भी महीनों या वर्षों तक रहता है। दर्द आमतौर पर संक्रमित हिस्से में महसूस किया जाता है।
हरपीज ज़ोस्टर ऑप्थेल्मिकस (एचजेडओ) वाले 50% तक लोगों में आंख संबंधी दिक्कतें होती हैं, यह एक प्रकार का हर्पीस (शिंगल्स) का दाना होता है जो आँखों या नाक को प्रभावित करता है। एचजेडओ वाले 30% लोगों को चीजें दोहरी दिखाई दे सकती हैं। आंख की ऑप्टिक तंत्रिका को नुकसान होने की संभावना न के बराबर होती है और यह समस्या एचजेड ओ वाले 0.5% से कम लोगों में होती है।
एन्सेफलाइटिस (मस्तिष्क की सूजन) जैसी तंत्रिका संबंधी जटिलताएं दुर्लभ हैं और ऐसे 1% लोगों में हो सकती हैं जिन्हें हर्पीस (शिंगल्स) हुआ हो।
बहुत ही कम मामलों में, हर्पीस (शिंगल्स) के वायरस श्रवण प्रणाली (हीयरिंग सिस्टम) में फिर से सक्रिय हो सकते हैं, जिसके कारण हरपीज ज़ोस्टर ओटिकस हो सकता है। इसके लक्षणों में सुनना बंद हो जाना, चक्कर आना, कान बजना, चेहरे में काफी दर्द और चेहरे का पक्षाघात (रामसे हंट सिंड्रोम) शामिल हैं। हर्पीस (शिंगल्स) वाले 1% लोगों में संतुलन की समस्या विकसित हो सकती है।
हर्पीस (शिंगल्स) के बाद उत्पन्न होने वाली स्वास्थ्य जटिलताओं की यह विस्तृत सूची नहीं है। अधिक जानकारी के लिए कृपया किसी डॉक्टर से बात करें।
हर्पीस (शिंगल्स) के कारण आमतौर पर दर्दनाक और फफोलेदार दाने उभरते हैं, यह या तो धड़ के बाईं ओर या दाईं ओर दानों की पट्टी के रूप में उभरते हैं। यह धड़, बाहों, जांघों या सिर (आंखों या कानों सहित) पर विकसित हो सकता है। लोग अक्सर दर्द का वर्णन दर्द#, जलन#, चाकू मारने#, या झटके की तरह# के रूप में करते हैं। यह रोजाना आमतौर पर किए जाने वाले कामों में बाधा डाल सकता है, जैसे कपड़े पहनना, चलना और सोना।
हर्पीस (शिंगल्स) का संक्रमण आमतौर पर त्वचा पर लाल चकत्ते से शुरू होता है जो शरीर के एक छोटे से हिस्से को प्रभावित करता है। प्रभावित व्यक्ति को बिजली के झटके# या नाखूनों को छेदने# जैसा दर्द या उबलते पानी से जलना जैसा, खुजली, झुनझुनी, और प्रभावित क्षेत्रों में सूजन का भी अनुभव हो सकता है।
लोगों को बुखार, सिरदर्द, ठंड लगना या पेट खराब होने का भी अनुभव हो सकता है।
इसलिए, अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण महसूस हो रहा है, तो कृपया जल्दी से डॉक्टर से बात करें।
यदि आपके माता-पिता या परिवार के बुजुर्गों को हर्पीस (शिंगल्स) हो जाता है, तो हर्पीस (शिंगल्स) और उसकी रोकथाम के बारे में और जानने के लिए अपने डॉक्टर से बात करें।
हर्पीस (शिंगल्स) की रोकथाम के विकल्प
हर्पीस (शिंगल्स) वायरस के फिर से सक्रिय होने के कारण होता है जो छोटी माता (चिकनपॉक्स) के बाद शरीर में ही रह जाता है। इसलिए, यदि किसी व्यक्ति को चिकनपॉक्स (चेचक) नहीं हुआ है, तो उन्हें छोटी माता (चिकनपॉक्स) और हर्पीस (शिंगल्स) वाले लोगों के संपर्क से बचने के लिए कहें। इसके अलावा, सुनिश्चित करें कि छोटी माता (चिकनपॉक्स) के विकास के जोखिम को कम करने के लिए वे सभी हाथ और खाँसी से संबंधित स्वच्छता का पालन कर रहे हों।
टीकाकरण (वैक्सीनेशन) हर्पीस (शिंगल्स) को रोकने में मदद कर सकता है। हर्पीस (शिंगल्स) और इसकी रोकथाम के बारे में और जानने के लिए अपने डॉक्टर से बात करें।
टीकाकरण (वैक्सीनेशन) आपके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) को बेहतर करता है ताकि यह हर्पीस (शिंगल्स) के वायरस से लड़ सके और इसे फिर से सक्रिय होने से रोक सके।
उपचार बीमारी की गंभीरता और अवधि को कम कर सकता है और आपके लक्षणों के आधार पर, वायरस को कमजोर करना और/या दर्द से राहत दिलाना शामिल हो सकता है
अगर आपको लगता है कि आपको हर्पीस (शिंगल्स) हो सकता है, तो कृपया जल्द से जल्द अपने डॉक्टर से बात करें। वे आपके लक्षणों की गंभीरता और अवधि को कम करने में मदद के लिए उपयुक्त दवाएं लिख सकते हैं।
लक्षणों को ठीक करने के लिए सामान्य सलाह:
हर्पीस (शिंगल्स) और इसकी रोकथाम के बारे में और जानने के लिए डॉक्टर से बात करें।